"जब हमारी गलत धारणा सही हो जाती है, तो दुख भी समाप्त हो जाता है।"
― आदि शंकराचार्य

Aboutगोवर्धन मठ

ईसवी सन से ५०७ वर्ष पूर्व भगवान शिव शंकराचार्य के रुप में भारत के केरल क्षेत्र में उत्पन्न हुऐ । वायुपुराण में , शिव पुराण में शंकराचार्य को शिव का ही अवतार माना गया है । कुल बत्तीस वर्ष की आयु उन्हें प्राप्त थी । बत्तीस वर्ष की आयु की सीमा में उन्होंने ईश , केन , कठ इत्यादि उपनिषदों पर भाष्य लिखा ।

गोवर्द्धन मठ प्रकाशन

स्वस्थ क्रान्तिकी उद्भावना

स्वस्थ क्रान्तिकी उद्भावना

प्रिय पाठकवृन्द! सस्नेह स्मरण। भारत सैद्धान्तिक धरातलपर स्वतत्र नहीं है। देशके मौलिक और प्रशस्त स्वरूपको ख्यापित करना स्वतन्त्रताका लक्ष्य है।

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कश्मीरी पंडितों को न्याय मिले

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अनन्त श्री विभूषित श्री ऋगवैदिय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठाधिश्वर श्रीमज्जगदगुरु शंकराचार्य भगवान के काश्मीरी पंडितों पर अमृतवचन

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Sweataswatara Upanishad(श्वेताश्वेतर उपनिषद्)

Sweataswatara Upanishad
(श्वेताश्वेतर उपनिषद्)

परम पूज्य श्रीमद जगदगुरु भगवान आदि शंकराचार्य की जय २४ मई २०१,
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स्वस्थ क्रान्तिकी उद्भावना

प्रिय पाठकवृन्द! सस्नेह स्मरण।
भारत सैद्धान्तिक धरातलपर स्वतत्र नहीं है। देशके मौलिक और प्रशस्त स्वरूपको ख्यापित करना स्वतन्त्रताका लक्ष्य है। सनातन वैदिक आर्यसिद्धान्त दार्शनिक, वैज्ञानिक और व्यावहारिक धरातलपर इस महायान्त्रिक युगमें भी सर्वोत्कृष्ट है। वेदविहीन विज्ञान देहात्मवादका पोषक,पर्यावरणका प्रदूषक तथा अत्यन्त विस्फोटक है।

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शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
द्वारा एक व्याख्यान
IIT BHU में

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